जब हो आपको पैसे की जरूरत, लोन और जमा पूँजी तोड़ने में से कौन सा बेहतर? A loan or liquidating your assets, which option is better, when you are in need of money?
जब हो आपको पैसे की जरूरत, लोन और जमा पूँजी तोड़ने में से कौन सा बेहतर?, A loan or liquidating your assets, which option is better, when you are in need of money? – जब हमे किसी अत्यावश्यक, बड़े खर्च के लिए धन की आवश्यकता होती है, और वह धन हमारे पास में नहीं है, तो एकमात्र सबसे आसान विकल्प जो हमे सबसे पहले समझ आता है वो है उधार लेना ।
लेकिन क्या आपने अपनी जमा पूँजी या निवेश को तोड़ने के बारे में सोचना चाहिए? क्या आपको उनको तोड़ना चाहिए? या आपको कर्ज लेना चाहिए?
लेकिन वैसे अगर देखा जाये तो सब यही सलाह देंगे की उधार लेने से बचना चाहिए और हमे लोन नही लेना चाहिए, जब आपका हाथ थोडा टाइट रहता है, लेकिन इस सवाल का जवाब सीधा नही इस खेल में अन्य कारक भी हैं।
इस आर्टिकल का उद्देश्य आपको लोन लेने के लिए उकसाना नहीं है। लोन मुक्त होना सबसे अच्छी बात है। लेकिन लोगों की अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं और वे अलग-अलग परिस्थितियों में होते हैं। तो चलिए हम उन्ही परिस्थितियों के बारें में जानते है और उसके माध्यम से इस प्रश्न का जवाब तलाशने की कोशिश करते है। तो बने रहिये हमारे साथ अंत तक –
लोन दरों और निवेश रिटर्न का गणित (Math of loan rates vs investment returns)
अगर देखा जाये तो ये बिलकुल ही सादा गणित है। अगर आपको पैसे की जरूरत है और आपके पास 5 प्रतिशत की दर से जमा की हुई फिक्स्ड डिपाजिट (FD) है, तो 12-15 प्रतिशत पर पर्सनल लोन लेना बुद्धिमानी नहीं है। ऐसे में आप अपनी FD को ही तोड़ कर उसी का ही इस्तेमाल करें।
लेकिन उस मामले को भी सोचते है जिसमे अगर आपने ऐसे निवेश उत्पादों में पैसा लगाया है जो संभावित रूप से अधिक रिटर्न दे सकती हैं? जैसे की हम इक्विटी का उदहारण ले, जो 10-12 फीसदी दे सकती है।
क्या लोन लेने के बजाय ऐसे निवेशों को समाप्त करने का कोई मतलब है?
यहां समझने की जरूरत है कि उच्च रिटर्न की संभावना उच्च रिटर्न के वादे के समान नहीं है। लंबी अवधि में इक्विटी औसतन 10-12 फीसदी रिटर्न दे सकती है, ये बात 100 फीसदी सही है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है। और ऐसा हर साल हो ये भी तय नही होता है, क्यूंकि ये तो मार्किट की कंडीशन पर निर्भर करता है, इसका मतलब आपको 10-12 फीसदी रिटर्न साल दर साल नहीं मिलेगा।
इसलिए जब आपका किया हुआ निवेश अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और आप अपनी जमा पूँजी को न तोड़ कर लोन लेते हैं और, तो यह एक अच्छा निर्णय होगा। लेकिन अगर आपके कर्ज लेने के बाद बाजार में गिरावट आती है, तो आपका निर्णय आप पर भरी पड़ जाएगा, क्यूंकि अब निवेश अच्छा प्रदर्शन नही कर रहा है ।
धन की आवश्यकता का प्रकार बनाम संपत्ति का प्रकार (Type of money requirement vs type of asset)
यहाँ ये देखना होगा कि आपकी पैसे की आवश्यकता कितनी जरूरी और बड़ी है? और आपका निवेश/संपत्ति कितनी बड़ी है जिसे आप तोड़ने का सोच रहे हैं?
मान लीजिए कि आपको किसी पारिवारिक आपात स्थिति के लिए तत्काल 10 लाख रुपये की आवश्यकता है, लेकिन आपके पास ज़मीन या प्लाट के रूप केवल एक ही संपत्ति है, जिसकी कीमत 15 लाख रुपये है? इस स्थिति में, आपको लोन लेना पड़ सकता है क्योंकि जमीन बेचना एक धीमी प्रक्रिया है।
दूसरी ओर, यदि आपकी छोटी आवश्यकता है, जैसे, 4 लाख रुपये, और आपके पास बैंक में समान राशि की FD है , तो ऐसे केस में FD का उपयोग करना उचित है, जब तक कि यह निकट अवधि में किसी अन्य लक्ष्य या व्यय के लिए निर्धारित न हो।
ऐसे मामलों में जहां आवश्यकता बहुत छोटी है (जैसे कुछ लाख रुपये) और उपलब्ध संपत्ति बहुत बड़ी है (करोड़ो की संपत्ति), तो आप अपनी संपत्ति नहीं बेच सकते। ऐसे में कर्ज ही एकमात्र विकल्प है। लेकिन अगर निवेश म्यूचुअल फंड (एमएफ) जैसी किसी चीज में है , तो आप आंशिक निकासी पर विचार कर सकते हैं।
लेकिन निवेश के परिसमापन का विकल्प चुनते समय, टैक्सेशन को भी ध्यान में रखें। आम तौर पर, किसी भी संपत्ति की बिक्री से पूंजीगत लाभ (capital gain) होता है, जिस पर उसी के अनुसार टैक्स लगाया जाता है। इसलिए बेचने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
हो सकता है कि आप निवेश को तोड़ना नहीं चाहते हों, क्यूंकि ऐसा होता है कि हम बड़ी मुश्किल से निवेश चालू करते है, और अगर समय आने पर उसे भी तोड़ दे तो जरूरी नही है हम फिर से निवेश चालू कर पायें उतनी जल्दी। इसका सबसे बेहतर उदाहरण पीपीएफ है ।
अच्छा पुराना पीपीएफ सातवें वर्ष से आंशिक निकासी की अनुमति देता है। मान लीजिए आपने 6 लाख रुपये निकाले। अब, एक साल बाद, अगर आपके पास 6 लाख रुपये का सरप्लस है, तो क्या आप पीपीएफ की भरपाई कर सकते हैं? यह संभव नहीं है क्योंकि आप किसी दिए गए वर्ष में पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये से अधिक का निवेश नहीं कर सकते हैं । इसलिए, अपनी संपत्ति को समाप्त करने से पहले पुनर्निवेश से संबंधित नियमों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
इमरजेंसी फंड काम आ सकता है (Emergency fund can come in handy)
आपने इसे पहले भी कई बार सुना है: अप्रत्याशित, अनियोजित और अबीमाकृत घटनाओं के लिए हमेशा एक आपातकालीन निधि रखें। और ठीक ही तो। यदि आपके सामने ऐसी इमरजेंसी की स्थिति उत्पन्न होती है, तो आप आसानी से उस आपातकालीन निधि या इमरजेंसी फंड में से पैसा निकाल सकते है, जिसे आपने विशेष रूप से इसी उद्देश्य के लिए स्थापित किया था।
एक आपातकालीन निधि या इमरजेंसी फंड होने से आपके लॉन्ग टर्म निवेश को ऐसी अप्रत्याशित निकासी से बचाता है , अगर आप एक अच्छा समय होने के बाद अपने निवेश को तोड़ते है तो आपने इतने साल में जो क्म्पौन्डिंग के प्रभाव से जो ग्रोथ हासिल की है वो भी व्यर्थ चली जाती है।
यदि आपके पास कोई आपातकालीन बफर नहीं है, और यदि आपातकाल ऐसे समय में आता है जब बाजार में गिरावट होती है, तो आपको अपनी इमरजेंसी में पैसा लगाने के लिए आपको अपने निवेश को घाटे में बेचने के लिए मजबूर किया जाएगा। और अगर आप अपने लॉन्ग टर्म के निवेश को तोड़ कर खर्च करते है तो उससे आपकी वित्तीय लक्ष्य योजना खराब हो जाती है।
संक्षेप में, यदि यह वास्तव में एक गंभीर आपात या इमरजेंसी स्थिति में है, तो आपको आपात स्थिति में, ऑनलाइन पर्सनल लोन लेना सबसे तेज़ विकल्प हो सकता है। इसलिए, आप पहले पर्सनल लोन वाले विकल्प पर जा सकते है और बाद में निवेश को अपनी सहूलियत के हिसाब से तोड़ कर या आंशिक विथड्राल करके लोन चुका सकता है। लेकिन निवेश बनाम लोन लेने के अधिकांश प्रश्नों में, यह तय करने से पहले कि आपको अपने निवेश को समाप्त करना चाहिए या लोन के लिए जाना चाहिए, के लिए कास्ट-बेनिफिट लागत-लाभ विश्लेषण (cost-benefit analysis) जरूर से करना चाहिए।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको जब हो आपको पैसे की जरूरत, लोन और जमा पूँजी तोड़ने में से कौन सा बेहतर? (A loan or liquidating your assets, which option is better, when you are in need of money?), अगर इसके बाद भी अगर आपके मन में कोई सवाल है तो मेरे कमेंट बॉक्स में आकर पूछे मैं आपके सवालों का जवाब अवश्य दूंगा, तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ apneebachat.com पर! मिलते हैं अगले आर्टिकल में धन्यवाद।