अगर बढ़ाना है 2023 में अपने पैसो का मान, तो म्यूचुअल फंड चुनते समय रखे इन 10 बातों का ध्यान, 10 Things for Choosing the Best Mutual Fund to invest in 2023
अगर बढ़ाना है 2023 में अपने पैसो का मान, तो म्यूचुअल फंड चुनते समय रखे इन 10 बातों का ध्यान, 10 Things for Choosing the Best Mutual Fund to invest in 2023 – जैसा की हम जानते है कि म्युचुअल फंड में निवेश लंबी अवधि के निवेश उत्पादों में से बाजार में सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है। लेकिन एक एक बड़ा कोष या कॉर्पस बनाने के लिए, आपको कोई भी निवेश करने से पहले म्यूचुअल फंड के कई प्रमुख पहलुओं से परिचित होना चाहिए।
म्यूच्यूअल फंड खुद जिन संपत्तियों में वे निवेश करते हैं, उनके आधार पर दस से अधिक विभिन्न प्रकार की म्यूचुअल फंड श्रेणियां हैं। म्युचुअल फंड की प्रत्येक श्रेणी में एक विशेष जोखिम प्रोफ़ाइल, निवेश क्षितिज, बेंचमार्क इंडेक्स, स्टॉक और सेक्टर होल्डिंग्स, एक्सपेंस रेश्यो और निवेश उद्देश्य होता है।
इन सभी प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड चुनते समय कुछ कारकों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। मार्किट में 40 से अधिक म्यूचुअल फंड हाउस और हजारों योजनाएं उपलब्ध होने के साथ, निवेश करने के लिए सही म्यूचुअल फंड योजना का चयन करना एक कठिन काम हो जाता है।
आज हम 2023 में निवेश के लिए म्यूचुअल फंड चुनने से पहले वो कौन सी 10 ध्यान रखने योग्य बातें है वो बताएँगे। तो बने रहे आर्टिकल के अंत तक –
निवेश का उद्देश्य ( Investment objective)
आपको ऐसा म्युचुअल फंड चुनना चाहिए, जो आपके निवेश लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता के अनुरूप हो। यदि आपका निवेश क्षितिज लंबी अवधि का है, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड चुनने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि वे लंबी अवधि में चक्रवृद्धि (compunding) का लाभ प्रदान करते हैं, और शोर्ट टर्म निवेश के लिए, डेट या हाइब्रिड म्यूचुअल फंड एक विवेकपूर्ण विकल्प हो सकते हैं।
एक्सपेंस रेशियो (Expense ratio)
सलाह दी जाती है कि कम एक्सपेंस रेशियो वाले म्यूचुअल फंड की तलाश करें, क्योंकि इससे आपके रिटर्न पर फीस का असर कम होगा, और आपको अंत में थोडा ज्यादा रिटर्न मिलेगा।
प्रदर्शन का इतिहास (Performance history)
आपको म्यूचुअल फंड के पिछले प्रदर्शन को जरूर से देखना चाहिए, लेकिन यहाँ ध्यान रखने वाली बात ये है की जरूरी नही है कि पिछला प्रदर्शन भविष्य के परिणामों का संकेत हो।
रिटर्न का विश्लेषण करते समय, 1 वर्ष, 3 वर्ष, 5 वर्ष और 10 वर्ष जैसे विभिन्न कार्यकालों के रिटर्न को देखने का सुझाव दिया जाता है, जो फंड के प्रदर्शन में स्थिरता के बारे में आपको बताएगा
इसके अलावा उन फंडों का चयन करने की सिफारिश की जाती है जिन्होंने अपने संबंधित बेंचमार्क और अपनी केटेगरी में एवरेज से लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है।
विविधीकरण/डायवर्सिफिकेशन (Diversification)
म्युचुअल फंड निवेश केवल एक योजना के चयन तक सीमित नहीं होना चाहिए। सलाह हमेशा ये दी जाती है कि एक निवेशक को परिसंपत्ति वर्गों (एसेट क्लास) और क्षेत्रों में विविधता लाने के लिए विभिन्न प्रकार की म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश करना चाहिए।
निवेश शैली (Investment style)
निवेश से पहले इस बात पर ध्यान दे की आप सक्रिय रूप से प्रबंधित या एक्टिवली मैनेज्ड म्यूच्यूअल फंड (actively-managed mutual fund) या निष्क्रिय रूप से प्रबंधित म्यूचुअल फंड या पैसिवली मैनेज्ड म्यूच्यूअल फंड (passively-managed mutual fund) पसंद करते हैं।
सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड (actively-managed mutual fund) उन पेशेवरों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं जो बाजार से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं, जबकि निष्क्रिय रूप से प्रबंधित फंड (passively-managed mutual fund) मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं।
एक्टिव vs पैसिव या फंडों पर वैश्विक डेटा देखने से पता चलता है कि लगभग 1: 2 का win-loss ratio होता है, एक्टिव रूप से प्रबंधित फंडों के लगभग 66% ने इंडेक्स फंडों की तुलना में कमतर प्रदर्शन किया है। यदि हम पिछले चार वर्षों के आंकड़े लें तो यह 1:2 के अनुपात के बहुत करीब आता है।
फंड मैनेजर (Fund manager)
हमेशा म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले उस फंड के फंड मैनेजर और उनकी विशेषज्ञता और निवेश शैली का निर्धारण करने के लिए उनके ट्रैक रिकॉर्ड पर रिसर्च जरूर से करें। म्यूचुअल फंड योजनाओं के प्रदर्शन में स्थिरता को देखते हुए एक फंड मैनेजर की दक्षता का अंदाजा लगाया जा सकता है, फंड मैनेजर अपने बेंचमार्क और कैटेगरी के औसत से कितना अल्फा जेनरेट करने में सक्षम है, और वे मंदी के चरणों में बाजार में कितनी अच्छी तरह से बचे रहते हैं, ये आपको जानना चाहिए।
फंड का आकार (Fund size)
यदि आप सोचते हैं (या यदि कोई आपको बता रहा है) कि केवल आकार के आधार पर एक फंड को दूसरे पर वरीयता दी जानी चाहिए, तो यहाँ आपको थोड़ी और रिसर्च करने की जरुरत हैं। क्यूंकि बहुत से पैमाने है जो ये तय करते है कि ये फंड कैसा होगा। इसीलिए आप फंड के साइज़ या आकर के साथ उन पैमानों को भी ध्यान से स्टडी करे।
लिक्विडिटी (Liquidity)
ऐसा म्यूचुअल फंड चुनें जो लिक्विडिटी ऑफर करता हो, यानी आप जरूरत के हिसाब से आसानी से शेयर खरीद और बेच सकें। चूंकि अधिकांश म्युचुअल फंड योजनाएं ओपन-एंडेड होती हैं, लेकिन कुछ स्कीमस जैसे कि ईएलएसएस (ELSS) और एफएमपी (MFP) जैसी योजनाएं निश्चित लॉक-इन अवधि के साथ आती हैं।
ईएलएसएस (ELSS) या फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (Fixed Maturity Plans) जैसे विकल्पों में निवेश करने की योजना बनाने से पहले तरलता की जरूरतों और निवेश क्षितिज पर विचार करने का सुझाव दिया गया है।
जोखिम उपाय (Risk Measure)
जैसा की हम जानते है जोखिम और रिटर्न एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, इसलिए योजना के जोखिम उपायों को देखने का सुझाव दिया जाता है, ये मानक है स्टैण्डर्ड डेविएशन और बीटा, जो योजना की अस्थिरता या वोलाटिलिटी को मापते हैं। इसके अलावा, शार्प अनुपात (Sharpe ratio), ट्रेनर अनुपात (Treynor Ratio) और सॉर्टिनो अनुपात (Sortino ratio) जैसे अनुपात जोखिम-समायोजित रिटर्न ( risk-adjusted returns) की बेहतर तस्वीर देते हैं।
टैक्स (Tax)
म्युचुअल फंड से प्राप्त फायदे पर कैपिटल गेन टैक्स लगाया जाता हैं। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप निवेश करने से पहले कर के प्रभाव पर विचार करें।अलग अलग म्यूच्यूअल फंड पर अलग अलग टैक्स लगाये जाते है, इसीलिए निवेश से पहले ये अच्छे से देख लेना चाहिए।
इक्विटी म्यूच्यूअल फंड में से 1 साल के बाद पैसा निकाला तो ₹1 लाख की छूट के साथ 10% कर लगाया जाता है।
डेट म्युचुअल फंड पर इंडेक्सेशन के लाभ के साथ 20% कर लगाया जाता है, अगर इसे 3 साल से अधिक समय तक रखा जाता है। यदि आप अपने डेट फंड को 3 साल से कम समय के लिए रखते हैं, तो आप पर लागू स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाएगा।