अगर नही जानेंगे इन म्यूच्यूअल फंड (डायरेक्ट बनाम रेगुलर) में अंतर, तो पड़ सकता पछताना निरंतर, What are Direct and Regular mutual fund and Direct vs Regular mutual fund
अगर नही जानेंगे इन म्यूच्यूअल फंड (डायरेक्ट बनाम रेगुलर) में अंतर, तो पड़ सकता पछताना निरंतर, What are Direct and Regular mutual fund and Direct vs Regular mutual fund – अधिकांश लोगों यह नही जानते है कि भारत में प्रत्येक और प्रत्येक म्यूचुअल फंड दो भिन्नताओं में आता है – एक रेगुलर फंड (नियमित योजना) और दूसरा डायरेक्ट फंड (प्रत्यक्ष योजना)।
कई सुधारो के बाद 2012 में, सेबी ने म्यूच्यूअल फंड्स में डायरेक्ट म्यूच्यूअल फंड की शुरवात की| 1 जनवरी 2013 से प्रत्येक म्यूच्यूअल फंड 2 वेरियंट में आने लगा- एक रेगुलर प्लान और डायरेक्ट प्लान। तो, सवाल यह है कि कौन सी योजना आपके लिए बेहतर है: डायरेक्ट प्लान (प्रत्यक्ष योजना) या रेगुलर प्लान (नियमित योजना)?
इसके बाद से कोई व्यक्ति विशेष डायरेक्ट म्यूच्यूअल फंड को सीधे किसी AMC से खरीद सकता है| जबकि अगर आपको रेगुलर म्यूच्यूअल फंड खरीदना है तो आप किसी ब्रोकर या बिचोलिये की मदद से से फंड खरीद सकते है|
हमने इस लेख में निम्नलिखित बातों को शामिल किया है –
डायरेक्ट या प्रत्यक्ष म्यूच्यूअल फंड क्या है? (What is Direct Mutual Funds)
डायरेक्ट म्यूचुअल फंड म्यूचुअल फंड का प्रकार है जो सीधे एएमसी या फंड हाउस द्वारा पेश किया जाता है। मतलब कि या दूसरे शब्दों में बोले तो इसमें थर्ड पार्टी एजेंट, ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर की भागीदारी नहीं होती है।
चूंकि इसमें कोई थर्ड पार्टी एजेंट शामिल नहीं हैं, इसलिए इसमें कोई कमीशन और ब्रोकरेज नहीं हैं। इसलिए प्रत्यक्ष म्यूचुअल फंड का एक्सपेंस रेश्यो (व्यय अनुपात) रेगुलर फंड की तुलना में कम होता है। इस प्रकार, कम एक्सपेंस रेश्यो (व्यय अनुपात) के कारण निवेशक को रिटर्न अधिक मिलता है।
कैसे पहचाने डायरेक्ट म्यूच्यूअल फंड को? (How to identify direct mutual fund?)
म्यूचुअल फंड की डायरेक्ट योजना को बहुत ही आसानी से पहचाना जा सकता है; जिस किसी भी फंड के नाम के आगे डायरेक्ट शब्द का उपयोग हुआ है वो फंड डायरेक्ट म्यूच्यूअल फंड है। ये म्यूचुअल फंड ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड के जरिए खरीदे जा सकते हैं।
रेगुलर या नियमित म्युचुअल फंड क्या हैं? (What is Regular Mutual Funds)
नियमित या रेगुलर योजनाएं वे म्यूचुअल फंड योजनाएं हैं जो एक बिचोलियों (थर्ड पार्टी एजेंट, ब्रोकर या डिस्ट्रीब्यूटर) के माध्यम से खरीदी जाती हैं। ये बिचोलियों/मध्यस्थ दलाल, सलाहकार या वितरक हो सकते हैं। बिचौलिये अपने म्यूचुअल फंड को बेचने के लिए फंड हाउस से एक निश्चित शुल्क लेते हैं। एएमसी आमतौर पर एक्सपेंस रेश्यो (व्यय अनुपात) के माध्यम से इस शुल्क को वसूलते हैं।
रेगुलर म्यूचुअल फंड के लिए एक्सपेंस रेश्यो (व्यय अनुपात) प्रत्यक्ष म्यूचुअल फंड की तुलना में थोड़ा अधिक है। इसलिए डायरेक्ट प्लान (प्रत्यक्ष योजनाओं) में रिटर्न थोड़ा अधिक होता है।
एक रेगुलर योजना उन निवेशको के लिए सबसे अच्छी होती है जिनके पास मार्किट के बारे में कम जानकारी होती है और साथ की जिनके पास अपने पोर्टफोलियो की निगरानी के लिए समय का आभाव होता है।
इसलिए, एक रेगुलर योजना उन निवेशकों के लिए कहीं अधिक सुविधाजनक है जो बाजार के बारे में अच्छी तरह से नहीं जानते हैं। वे मामूली शुल्क पर विशेषज्ञ सलाह प्राप्त करते हैं। आप पढ़ रहे है – Direct vs Regular Fund, Kisme Kare Nivesh?
डायरेक्ट और रेगुलर फंड के बीच अंतर (Difference between direct and regular funds)
रेगुलर म्यूचुअल फंड में म्यूच्यूअल फंड की बिक्री में मदद के लिए बिचौलियों एवं दलालों को सेल्स कमीशन का भुगतान किया जाता है, ये एजेंट के लिए ही लिए व्यवसाय करते हैं। कमीशन की राशि 1% से 1.25% प्रति वर्ष के बीच अलग अलग होती है।
हालाँकि आपका मंथली स्टेटमेंट (मासिक विवरण) इस राशि को स्टेटमेंट में शो या दिखाता नही है, लेकिन आपकी म्यूचुअल फंड इकाइयों की एनएवी इस खर्च को include (समायोजित) करती है।
डायरेक्ट प्लान (प्रत्यक्ष योजनाओं) से, एएमसी किसी भी म्यूच्यूअल फंड की बिक्री में कमीशन का भुगतान नहीं करते हैं, इसलिए डायरेक्ट म्यूच्यूअल फंड के मामले में वार्षिक रिटर्न आम तौर पर 1% से 1.25% अधिक होता है।
हालांकि, एक एजेंट या ब्रोकर मध्यस्थ आपकी निवेश प्रोफ़ाइल और जोखिम को अच्छे से समझ कर और उसी के अनुसार आपका मार्गदर्शन करता है। एक प्रमाणित वित्तीय विशेषज्ञ आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप सर्वोत्तम योजना चुनकर आपका काफी समय बचा सकता है।
विवरण | डायरेक्ट प्लान | रेगुलर प्लान |
---|---|---|
Expense ratio एक्सपेंस रेश्यो | कम | ज्यादा (एजेंट्स के कमिशन के कारण) |
Advise/Guidance मार्गदर्शन | नही | हाँ |
NAV | ज्यादा | कम |
Research & market knowledge required रिसर्च और मार्किट का ज्ञान आवश्यक है? | बाजार और निवेश के जानकारों के लिए बिल्कुल सही | समय और ज्ञान के आभाव में एक प्रशिक्षित सलाहकार का मार्गदर्शन जरुरी |
Convenience सुविधाजनक | कम | ज्यादा |
Returns रिटर्न | ज्यादा, क्यूंकि इसमें एक्सपेंस रेश्यो कम होता है | कम, क्यूंकि इस |
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण से देख सकते हैं, एक डायरेक्ट प्लान और एक रेगुलर प्लान के बीच किसी विशेष फंड का रिटर्न 0.8% से 1.25% सालाना के बीच भिन्न हो सकता है। लेकिन यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि मार्किट के कितने जानकार हैं। एक खुश ग्राहक एजेंट्स एवं डिस्ट्रीब्यूटर (वितरकों) की प्रतिष्ठा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, वे केवल अपने निवेशक को बढ़िया रिकमेन्डेशन (सलाह) देते है।
डायरेक्ट फंड बनाम रेगुलर फंड लाभ (Direct Funds vs Regular Funds Benefits)
नीचे हम डायरेक्ट फंड और रेगुलर फंड के लाभों के बारे में चर्चा करेंगे –
सुविधा (Convenience) – भले ही डायरेक्ट प्लान (प्रत्यक्ष योजनाओं) का मतलब कम एक्सपेंस रेश्यो (व्यय अनुपात) है, लेकिन इसमें लाभ कमाने के लिए निवेशकों को खुद के अधिक प्रयासों की आवश्यकता होती है।
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निवेशकों को अपने लक्ष्य और जोखिम प्रोफाइल के आधार पर अपने आप फंड्स को शॉर्टलिस्ट करना होता है, और फिर उस फंड को चुनना होता है जो उनकी आवश्यकताओं को पूरा करता है। एक थर्ड पार्टी एजेंट, ब्रोकर (मध्यस्थ) को पहले से ही इन सभी की समझ एवं जानकारी होती है, जिससे वो आपका मार्गदर्शन करते है।
विशेषज्ञ मार्गदर्शन/एक्सपर्ट गाइडेंस (Expert Guidance) – म्यूचुअल फंड की तुलना और विश्लेषण करना और इसे एक निवेशक के वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम प्रोफ़ाइल के साथ मिलान करना, इसके लिए एजेंट या ब्रोकर का एक्सपर्ट होना बहुत जरूरी है।
एक योग्य पेशेवर (एजेंट / वितरक) आपको सही निवेश पोर्टफोलियो चुनने में मार्गदर्शन कर सकता है। इसके अलावा, वे आपको उन फंडों में निवेश करने की सलाह दे सकते हैं जो उत्कृष्ट रिटर्न देते हैं या दे सकते है।
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नियमित निगरानी और समीक्षा (Regular Monitoring and Reviewing) – कई बार निवेशक के पास अपने पोर्टफोलियो की नियमित रूप से समीक्षा करने के लिए समय, धैर्य या ज्ञान नहीं होता है।
यहां, एजेंट या ब्रोकर आपके पोर्टफोलियो रिटर्न की समय समय पर समीक्षा करता है और जरूरत पड़ने पर आपके एसेट में समय की हिसाब से बदलाव भी करता है जिससे की आपको अपने निवेश पर अधिक से अधिक रिटर्न दिलवा सके। इन्ही सभी के कारण रेगुलर म्यूच्यूअल फंड में एक्सपेंस रेश्यो समायोजित रहता है।
मूल्य वर्धित सेवाएं (Value Added Services VAS) – रेगुलर फंड में सेवाएं सिर्फ म्यूच्यूअल फंड बेचने तक सिमित नही है। इसमें आपके निवेश को सुविधाजनक बनाने और ट्रैक करने में आपकी पूरी सहायता की जाती हैं। इसलिए, यह डायरेक्ट फंड की तुलना में अधिक यूजर फ्रेंडली (निवेशक-अनुकूल) है।
विवरण | रेगुलर प्लान | डायरेक्ट प्लान |
---|---|---|
मासिक SIP अमाउंट Monthly SIP Amt. | रुपये 25,000 | रुपये 25,000 |
निवेश का कार्यकाल Investment Tenure | 30 साल | 30 साल |
वार्षिक रिटर्न Annualized Return | 12% | 12% |
एक्सपेंस रेश्यो Expense Ratio | 2% | 1% |
अंतिम कॉर्पस (SIP कार्यकाल के अंत में) Final Corpus (at the end of the SIP tenure) | रुपये 5.17 करोड़ | रुपये 6.46 करोड़ |
दोनों स्कीम में अमाउंट में अंतर | रुपये 1.29 करोड़ (करीब 20% ज्यादा रेगुलर प्लान से) |
निष्कर्ष (Conclusion)
रेगुलर बनाम डायरेक्ट म्यूचुअल फंड, कौन बेहतर है, यहां सवाल यह नहीं है। एक निवेश प्रेमी निवेशक के लिए, जिसके पास मार्किट नॉलेज (बाजार ज्ञान), विशेषज्ञता है, और निवेश के लिए म्यूचुअल फंड चुनने का समय है, एक डायरेक्ट म्यूचुअल फंड उसके लिए सबसे अच्छा सूट करता है। जब वह खुद से ये सब कर सकता है तो उसे किसी सलाहकार की जरुरत नही है जिससे की वह इस शुल्क से बच सकते है।
जबकि अधिकांश निवेशकों को निवेश सहायता की आवश्यकता होती है। जो लोग ऐसी सलाह लेते हैं, वे अपने सलाहकार द्वारा बताये गए सर्वोत्तम फंड में निवेश कर सकते हैं। और ये निवेश एक रेगुलर स्कीम में किया जाता है। यह अपने निवेशकों को अच्छी तरह से शोध किए गए निवेश विकल्पों की एक सरणी प्रदान करता है।