जीवन बीमा की मेच्युरिटी राशि के बारे में जान ले ये बातें, अन्यथा मेच्युरिटी के समय लग सकता है बड़ा झटका, Is your life insurance maturity amount always tax-free?
जीवन बीमा की मेच्युरिटी राशि के बारे में जान ले ये बातें, अन्यथा मेच्युरिटी के समय लग सकता है बड़ा झटका, Is your life insurance maturity amount always tax-free? – आयकर अधिनियम की धारा 10 (10डी) यह तय करती है कि आपकी जीवन बीमा पॉलिसी की मेच्युरिटी राशि कर-मुक्त होगी या नहीं। इसका जवाब आपको हैरान कर देने वाला हो सकता है, इसीलिए बने रहे हमारे साथ अंत तक।
सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाले आयकर कटौती लाभों में से एक जो अधिकांश टैक्स पेयर हर साल अधिकतम और अधिकतम उपयोग करते हैं और करना चाहते है , वह धारा 80 सी है। बहुत से निवेश उत्पादों में से लाइफ इंश्योरंस प्रीमियम भी एक लोकप्रिय उपकरण है जो धारा 80 सी कर कटौती लाभ प्रदान करते हैं , बीमा प्रीमियम है।
लेकिन एक और महत्वपूर्ण धारा है, आयकर अधिनियम की धारा 10(10डी), जो यह तय करती है कि आपकी जीवन बीमा पॉलिसी की मेच्युरिटी आय जिसे हम मेच्युरिटी अमाउंट भी बोलते है , क्या वो कर-मुक्त या टैक्स फ्री होगी या नहीं।
हां, आपने उसे सही पढ़ा है। जैसा कि बहुत से लोग मानते हैं, कि जीवन बीमा पॉलिसियों का मेच्युरिटी पेआउट हमेशा कर-मुक्त होता है, किन्तु ऐसा हर बार हो वो सही नही है।
धारा 10(10)डी मेच्युरिटी पर टैक्सेशन का निर्धारण कैसे करती है? (How does Section 10(10)D determine taxation at maturity?)
चीजों को सरल तरीके से समझाने के लिए, हम यहां केवल पारंपरिक बीमा योजनाओं जैसे एंडोमेंट, मनी-बैक योजनाओं और यूलिप या यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाओं के बारे में भी बात कर रहे हैं ।
ये सभी इंश्योरंस के साथ निवेश योजनाएं (insurance-cum-investment plans) हैं जो मेच्युरिटी पर उत्तरजीविता जिसे हम सर्वाइवल बेनिफिट (survival benefits ) भी बोलते है, के लाभ का भुगतान करती हैं। सीधे शब्दों में कहें तो हम केवल उन बीमा योजनाओं की बात कर रहे हैं जहां आपको पॉलिसी की अवधि के अंत में अपना पैसा वापस मिल जाता है।
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एक शुद्ध टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में कोई मेच्युरिटी या उत्तरजीविता लाभ या सर्वाइवल बेनिफिट (survival benefits ) नहीं होता है और इसलिए, हम जिस नियम पर चर्चा करने जा रहे हैं, उससे प्रभावित नहीं होता है।
इसके अलावा, मृत्यु लाभ (पॉलिसी के कार्यकाल के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु के मामले में भुगतान किया गया) और मेच्युरिटी लाभ (जीवित रहने और पॉलिसी अवधि के पूरा होने पर भुगतान) के बीच अंतर है। और यहां, हम केवल मैच्योरिटी बेनिफिट्स के टैक्सेशन के बारे में बात कर रहे हैं। मृत्यु लाभ हमेशा कर मुक्त होते हैं।
यदि आप एक जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते हैं और भुगतान किया गया वार्षिक प्रीमियम पॉलिसी की बीमित राशि के 10 प्रतिशत से अधिक है, तो मेच्युरिटी आय (उत्तरजीविता लाभ) पर टैक्स लगेगा।
यह 10 प्रतिशत नियम (10 percent rule) अप्रैल 2012 के बाद खरीदी गई पॉलिसियों के लिए है। पहले खरीदी गई पॉलिसी के लिए नियम सीमा बीमा राशि का 20 प्रतिशत है।
चलिए इसे हम एक उदहारण के माध्यम से समझाने की कोशिश करते है –
मान लीजिये आप 15 लाख रुपये की बीमा राशि के साथ एक एंडोमेंट प्लान खरीदते हैं । इसके लिए आप सालाना प्रीमियम 1.8 लाख रुपये चुकाते हैं। अब मैच्योरिटी टैक्स फ्री करने के लिए 10 फीसदी के नियम के मुताबिक सालाना प्रीमियम 15 लाख रुपये के 10% यानी 1.5 लाख रुपये से कम या उसके बराबर होना चाहिए।
लेकिन इस मामले में, यह प्रीमियम की राशि 1.8 लाख रुपये है जो नियम सीमा से अधिक है। मतलब की इस मामले में 10 प्रतिशत नियम (10 percent rule) का पालन नहीं हो पा रहा है, इसलिए हमारी पॉलिसी का मेच्युरिटी पेआउट, कर की दरों के अनुसार कर योग्य होगा, जो कि मेच्युरिटी के वर्ष में लागू होगा।
आम तौर पर, मेच्युरिटी राशि
i ) सम एश्योर्ड और
ii) वर्षों में अर्जित बोनस से बनी होती है।
इसलिए, यह पूर्ण मेच्युरिटी पेआउट कर योग्य होगा यदि वार्षिक/ एनुअल प्रीमियम सम एश्योर्ड के 10 प्रतिशत से अधिक है।
कुछ लोगों को इस बात पर संदेह होता है कि यह सम एश्योर्ड का 10 प्रतिशत है या मैच्योरिटी राशि का? तो आपको बता दे, की ये नियम बहुत साफ़ है कि यह केवल सम एश्योर्ड का 10 प्रतिशत होता है । लेकिन इसमें एक लोचा है: अगर 10 प्रतिशत नियम (10 percent rule) का उल्लंघन होता है तो आपको पूरी मैच्योरिटी राशि पर टैक्स देना होगा ।
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यूलिप 2.5 लाख रुपये का कराधान नियम बनाम धारा 10(10डी) (ULIP Rs 2.5 lakh taxation rule vs section 10(10D))
पिछले साल, सरकार ने उच्च मूल्य वाले यूलिप के टैक्सेशन को रैशनल युक्तिसंगत बनाने का प्रयास किया, जिसका उपयोग एचएनआई (HNI) या हाई नेट वर्थ मूल्य वाले व्यक्तियों द्वारा करों से बचने के लिए अक्सर किया जाता था।
धारा 10(10डी) में मेच्युरिटी राशि पर कर छूट (tax exemption) की अनुमति अभी भी यूलिप पर लागू है, अगर वार्षिक प्रीमियम बीमा राशि सम एश्योर्ड के 10 प्रतिशत से कम है।
लेकिन बजट 202 1 ने वर्ष में प्रीमियम राशि 2.5 लाख रुपये से अधिक होने पर कर-मुक्त स्थिति वापस ले ली। ऐसी पॉलिसियों के लिए, मेच्युरिटी पर लाभ को कैपिटल गेन (capital gains) के रूप में माना जाएगा और धारा 112A के तहत टैक्स लगाया जाएगा।
यानी यूलिप की मैच्योरिटी से मिलने वाली रकम पर म्युचुअल फंड की तरह टैक्स लगेगा। इस तरह के उच्च-प्रीमियम कैपिटल गेन (capital gains) होने पर अन्य इक्विटी-ओरिएंटेड निवेशों के जैसे ही इसमें रिडेम्पशन पर या मेच्युरिटी पर शोर्ट टर्म कैपिटल गेन STCG या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन LTCG टैक्स लगेगा।
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निवेश और बीमा को अलग रखें (Keep investment and insurance separate)
जीवन बीमा के लिए टर्म प्लान सबसे अच्छा विकल्प होता है। जीवन बीमा के लिए आपको किसी एंडोमेंट या मनी-बैक प्लान या यूलिप की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय आप पब्लिक प्रोविडेंट फंड, इक्विटी फंड आदि जैसे शुद्ध निवेश और बचत उत्पादों में निवेश कर सकते हैं
ज्यादातर लोग अपने बीमा प्रीमियम के केवल कर-बचत वाले हिस्से (धारा 80C के तहत) पर ध्यान केंद्रित करते हैं। लेकिन जैसा कि हमने इस लेख में चर्चा की है, जहाँ आपको ये सुनिश्चित करना है कि कहीं आप कोई ऐसी बीमा पॉलिसी नहीं खरीदते हैं, जहां पर आपकी सालाना प्रीमियम राशि, sum assured के 10 फीसदी राशि से अधिक हो, और अगर ऐसा होता है तो आपको अपनी मेच्युरिटी राशि पर टैक्स देना होगा।
इसीलिए हमेशा इंश्योरंस और सेविंग को अलग रखे जिससे की आपको इस प्रकार की समस्या का सामना ही न करना पड़े – ध्यान रखे हमेशा आपके इंश्योरंस की सालाना प्रीमियम sum assured के 10 प्रतिशत के बराबर या कम होना चाहिए!
निष्कर्ष (Conclusion)
आज के लेख में हमने आपको बताया कि जीवन बीमा की मेच्युरिटी राशि के बारे में हमेशा से किन किन बातों के बारे में पता होना चाहिए, अन्यथा मेच्युरिटी के समय भरी टैक्स लगने से हमे नुकसान हो सकता है (Is your life insurance maturity amount always tax-free?) आगे भी हम आपके लिए ऐसे दिलचस्प लेख लाते रहेंगे।
अगर इसके बाद भी अगर आपके मन में कोई सवाल है तो मेरे कमेंट बॉक्स में आकर पूछे मैं आपके सवालों का जवाब अवश्य देंगे, तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ apneebachat.com पर! मिलते हैं अगले आर्टिकल में धन्यवाद।