फाइनेंसियल फ्रीडम – मंथली सैलरी वाले जल्दी से इन 3 स्टेप्स का पालन करके हो जाये फाइनेंसियली फ्री | How can a salaried employee achieve financial independence in India by following 3 steps?

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Salaried employee achieve financial independence in India

फाइनेंसियल फ्रीडम – मंथली सैलरी वाले जल्दी से इन 3 स्टेप्स का पालन करके हो जाये फाइनेंसियली फ्री, How can a salaried employee achieve financial independence in India by following 3 steps?

फाइनेंसियल फ्रीडम – मंथली सैलरी वाले जल्दी से इन 3 स्टेप्स का पालन करके हो जाये फाइनेंसियली फ्री, How can a salaried employee achieve financial independence in India by following 3 steps? – अगर आप हर महीने अपनी सैलरी में से कुछ पैसा अपने बैंक की सेविंग्स में डाल कर निशचिंत है तो आपको ये जानकर हैरानी भी होगी और ताजुब्ब भी होगा कि, सेविंग अकाउंट से कमाया हुआ इंटरेस्ट इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति) को भी मात नही दे पायेगा! इस तरह से आप अपने पैसे को को दिन प्रतिदिन बढ़ाने की बजाय घटा ही रहे है।

वेल्थ क्रिएशन या धन बनाना, एक आरामदायक रिटायरमेंट लाइफ, महंगी छुट्टी और एक अच्छी जिंदगी। यह सब सुनने में कितना अच्छा लगता है लेकिन सेलरीड लोगों के लिए यह सब होने की कल्पना करना मुश्किल है।

चलिए हम इसे कुछ उदहारण से समझते है इस सज्जन, रोहन का मामला लें, जिनसे मैं हाल ही में अपने निवेशक शिक्षा पाठ्यक्रम में मिला था।

मेरे एक दोस्त है रोहन, उनके पास म्यूच्यूअल फंड में एक अच्छा डेट इक्विटी का मिश्रण का निवेश है, और उन्होंने इसी से अपने कुछ वित्तीय लक्ष्य की योजना बनाई है। रोहन का तर्क है कि वित्तीय योजनाएं बनाना आसान होता है, लेकिन जीवन में आने वाले उतार चढाव नियमित रूप से प्लानिंग की हुई योजना को पटरी से उतार देती हैं। चलिए आज हम इन्हें समझते है –

Challenge No. 1 – महंगा चिकित्सा उपचार, थोड़ा बीमा (Expensive medical treatment, little insurance)

रोहन के परिवार में एक इमरजेंसी की कंडीशन आ गयी है परिवार के एक सदस्य की ब्रेन सर्जरी हुई है। रोहन को ऑफिस द्वारा मिले हुए मेडिकल इंश्योरंस से हॉस्पिटल क्लेम का 60% कवर तो मिल गया,  लेकिन शेष राशि का भुगतान रोहन को पर्सनली खुद के पॉकेट से करना पड़ा। जिससे हुआ ये की रोहित का आपातकालीन कोष समाप्त हो गया, और साथ ही साथ उसे अपने कुछ निवेश तोड़ कर उनमें से बाहर निकलना पड़ा । रोहन का कुल मेडिकल कवर 5 लाख रुपये था , जो जटिल सर्जरी के लिए अपर्याप्त साबित हुआ।

बढ़ती चिकित्सा लागत वेल्थ बनाने में एक बड़ी बाधा हो सकती है, खासकर यदि आप या आपके डिपेंडेंटस (आश्रित) अक्सर बीमार होने की वजह से अस्पतालों में भर्ती होते रहते हैं। आप ये अच्छे से जानते ही है कि अगर किसी को क्रिटिकल या जानलेवा बीमारी हो जायें तो ये आपकी वित्तीय योजना को कई साल पीछे धकेल देती है।

भारत में चिकित्सा मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत से ऊपर होने के कारण, गंभीर बीमारी कवर के साथ कम से कम 10-15 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा होना आवश्यक हो जाता है । जबकि यह न्यूनतम है जो आपके पास होना ही चाहिए।

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यह सिर्फ अस्पताल के बिल ही नहीं हैं जिनके बारे में आपको  चिंता करने की ज़रूरत है। बल्कि बीमारी या इससे जुड़े खर्चे भी काफी ज्यादा होते हैं इसलिए एक क्रिटिकल इलनेस (गंभीर बीमारी) कवर या एक स्वास्थ्य व्यय कोष होना महत्वपूर्ण हो जाता है जिसका उपयोग ऐसी आपात स्थितियों में किया जा सकता है।

इन सब कारणों को देखते हुए हम बोल सकते है कि सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना ही काफी नहीं है। बल्कि सब लिमिट और एक्सक्लूजन के साथ अच्छी मात्रा में कवर होना भी महत्वपूर्ण है। रोहन ने उल्लेख किया कि उन्होंने कभी एक्सटर्नल कवर के बारे में कभी सोचा नहीं क्योंकि वह विभिन्न योजनाओं की सभी सूचनाओं से कंफ्यूज था, इसके लिए आप बहुत सी ऐसी वेबसाइट (bankbazar, moneycontrol) है जिसके माध्यम से इसके बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर सकते है।

Challenge No. 2 – बहुत अधिक लोन्स (Too many loans)

बहुत ज्यादा लोन होने पर किश्तों (ईएमआई) का भुगतान करने के कारण बचत करना भी मुश्किल हो जाता है । रोहन का पहला होम लोन लगभग बंद होने को है लेकिन इसी बीच रोहन ने एक अतिरिक्त फ्लैट की खरीद के पैसे भरने के लिए दूसरा होम लोन लिया है । रोहन का  मानना है कि फ्लैट उन्हें 12-15% रिटर्न देगा और लोन पर 7.5% पर ब्याज देना होगा जिससे ये लोन उन्हें प्रॉफिट कमाने की अनुमति देगा।

अक्सर, हम लोग लोन के हमारे फाइनेंस पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने में सक्षम नहीं हो पाते हैं और अंत में एक और बड़े amount का लोन ले लेते हैं।

मान लीजिए कि एक व्यक्ति X और एक व्यक्ति, Y, जिनकी सैलरी समान है लेकिन X के ऊपर छोटा लोन है वही Y के ऊपर एक बड़ा लोन का भार है। जैसा कि देखा जा सकता है, 20 वर्षों के बाद, Y अपने लोन पर चुकाए जाने वाले चक्रवृद्धि ब्याज के कारण उनका इन्वेस्टमेंट नकारात्मक हो सकता है,  और वही X के मामले में, निवेश चक्रवृद्धि होने के कारणऔर तेजी से बढ़ता है।

Challenge No. 3: मेरे निवेश ने महंगाई को भी मात नहीं दी (My investments don’t even beat inflation)

अन्य निवेशकों की तरह रोहन भी बढ़ती महंगाई को लेकर चिंतित हैं। लेकिन पता चला की रोहन ने इक्विटी म्यूचुअल फंड में 10 प्रतिशत आवंटन और फिक्स्ड डिपाजिट और बीमा में शेष राशि का निवेश किया हुआ है। अगर आप रोहन के पोर्टफोलियो को देखे तो इक्विटी में 10 प्रतिशत आवंटन के साथ, रोहन का पोर्टफोलियो इन्फ्लेशन को बीट (मुद्रास्फीति को मात देने) नही कर सकता है।

वित्तीय स्वतंत्र बनने के लिए 3 कदम (3 steps to become financial independent)

अपने फाइनेंस को अनुशासित करना कोई रॉकेट साइंस नहीं है । लेकिन इसके लिए आपको सिर्फ और सिर्फ अनुशासित रहने की जरूरत है । आपके निवेश पोर्टफोलियो को सही करने के लिए मैं ये तीन व्यापक कदम सुझाता हूं :

  • जांचें कि क्या आपके पोर्टफोलियो पर अपेक्षित औसत प्रतिफल (expected average return) 7 प्रतिशत प्रति वर्ष से अधिक है या नहीं।
  • प्रत्येक निवेश का मूल्यांकन करें और जांचें कि क्या यह मुद्रास्फीति को मात दे रहा है या नहीं।
  • अगर आपका पोर्टफोलियो महंगाई को मात नहीं दे रहा है, तो एसेट क्लास मिक्स को बदल दें। जैसा की हमने ऊपर देखा रोहन को निश्चित रूप से अपने वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी आवंटन बढ़ाने की जरूरत है

वित्त के प्रबंधन में कई कारक शामिल होते हैं और उन चीजों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता होती है जो योजना के अनुसार नहीं होती हैं। कम से कम लोन्स, अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए अतिरिक्त राशि के साथ सही कवर और उत्पादों का सही मिश्रण जो समायोजित मुद्रास्फीति पर अच्छा रिटर्न देते हैं, अगर आपने ये सब अच्छे से प्लान किया तो टैक्स काटने के बाद आप निश्चित रूप से वित्तीय स्वतंत्रता की यात्रा को आसान बनाने में एक लंबा रास्ता तय कर पायेंगे।a